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बड़ी खबर: भारत में पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा… नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में खुलासा, प्रजनन दर में भी आई कमी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के मुताबिक देश में पुरुषों के मुकाबले अब महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गई है. सर्वे के ताज़ा आंकड़ों में कहा गया है कि भारत में अब 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं. सर्वे में ये भी कहा गया है कि प्रजनन दर (Fertility Rate) में कमी आई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को ये आंकड़े जारी किए. बता दें कि NFHS बड़े पैमाने पर किया जाने वाला एक सर्वेक्षण है, जिसमें हर परिवार से सैंपल लिए जाते हैं.

इन आंकड़ों से ये साफ है कि भारत में अब महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. जबकि इससे पहले हालात कुछ अलग थे. 1990 के दौर में हर 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या महज 927 थी. साल 2005-06 में हुए तीसरे NHFS सर्वे में ये 1000-1000 के साथ बराबर हो गया. इसके बाद 2015-16 में चौथे सर्वे में इन आंकड़ों में फिर से गिरावट आ गई. 1000 पुरुषों के मुकाबले 991 महिलाएं थीं. लेकिन पहली बार अब महिलाओं के अनुपात ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है.

खुद का बैंक खाता रखने वाली महिलाओं की संख्या 25% बढ़ी

78.6% महिलाएं अपना बैंक खाता ऑपरेट करती हैं. 2015 16 में यह आंकड़ा 53% ही था. वहीं 43.3% महिलाओं के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4% ही था. माहवारी के दौरान सुरक्षित सैनिटेशन उपाय अपनाने वाली महिलाएं 57.6% से बढ़कर 77.3% हो गई हैं. हालांकि बच्चों और महिलाओं में एनीमिया बड़ी चिंता बनकर उभरा है. 67.1% बच्चे और 15 से 49 वर्ष की 57% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं.

30% आबादी के पास खुद का आधुनिक टॉयलेट नहीं

2015-16 में खुद के आधुनिक टॉयलेट वाले घर 48.5% थे. 2019-21 में यह संख्या 70.2% हो गई है. मगर 30% अभी वंचित हैं. देश के 96.8% घरों तक बिजली पहुंच चुकी है. वहीं 2005-06 में आयोजित एनएफएचएस-3 के अनुसार, अनुपात बराबर था. 1000 पर 1000. 2015-16 में एनएफएचएस-4 में यह घटकर 991 पर 1000 हो गया. यह पहली बार है, किसी भी एनएफएचएस या जनगणना में, कि लिंग अनुपात महिलाओं के पक्ष में तिरछा है

डेटा का पैमाना

पहली बार देश में प्रजनन दर 2 पर आ गई है. 2015-16 में यह 2.2 थी. खास बात ये है कि 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट मार्क माना जाता है. यानी 2.1 की प्रजनन दर पर आबादी की वृद्धि स्थिर बनी रहती है. इससे नीचे प्रजनन दर आबादी की वृद्धि दर धीमी होने का संकेत है.NFHS-5 में साल 2019-20 के दौरान हुए सर्वेक्षण के डेटा को इकठ्ठा किया गया.

इस दौरान लगभग 6.1 लाख घरों का सर्वेक्षण किया गया है. NFHS-5 में इस बार कुछ नए विषय जैसे- पूर्व स्कूली शिक्षा, दिव्यांगता, शौचालय की सुविधा, मृत्यु पंजीकरण, मासिक धर्म के दौरान स्नान करने की पद्धति और गर्भपात के तरीके कारण शामिल हैं. बता दें कि पहला राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-1) साल 1992-93 में आयोजित किया गया था.

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