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NEWS18 EXPLAINS: यूक्रेन में तबाही के 100 दिन, किसने क्या पाया क्या खोया?

NEWS18 EXPLAINS: यूक्रेन में तबाही के 100 दिन, किसने क्या पाया क्या खोया?

कीव. यूक्रेन पर रूस के हमले के 100 दिन बीत जाने के बाद दुनिया लगभग रोज विध्वंस की घटना की गवाह बनी है. लाशों से पटी बुचा की सड़कें, मारियुपोल में धमाके में उड़ा थियेटर हो या फिर रूसी मिसाइल के हमले से क्रामाटोर्स्क ट्रेन स्टेशन पर मची अफरा तफरी. यह तस्वीरें यूरोप पर दशकों में हुए सबसे भयानक हमले की महज एक हिस्सा पेश करती हैं.

बीते 100 दिनों में कितनों की जाने गईं, कितनी तबाही हुई, कितना आर्थिक नुकसान हुआ, यह ठीक बता पाना तो मुश्किल है… आइए कुछ आंकड़ों और संख्याओं से जंग की भयावहता को समझने की कोशिश करते हैं.

इंसानी क्षति
कोई भी नहीं जानता कि कितने सैनिक या नागरिक मारे गए, सरकार हताहत होने वालों के जो आंकड़े पेश करती है, वह कई कारणों से कभी बढ़ा चढ़ाकर तो कभी कम करके रखे जाते हैं. इसे पूरी तरह सत्यापित कर पाना असंभव है.
सरकारी अधिकारी, यू.एन एजेंसी या अन्य लोग जो मृतकों के आंकड़े जुटाने का काम करती है, उनकी पहुंच हमेशा उस जगह पर नहीं हो पाती है जहां लोग मारे गए थे.

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वहीं, रूस ने अपने सहयोगियों और सैन्य दलों के बीच हताहतों की बहुत कम जानकारी दी है. और उनके नियंत्रण वाले क्षेत्र में नागरिकों की मौत का कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है. कुछ जगह जैसे मारियुपोल शहर जो लंबे वक्त तक युद्ध से घिरा रहा है, सबसे ज्यादा मौतों का गवाह बना है. रूसी सेना पर मौतों को छिपाने और लाशों को सामूहिक कब्रों में दफन करने का आरोप लगाया गया है. जिससे मौतों के कुल आंकड़ों को लेकर एक धुंधलापन बरकरार है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने लक्जमबर्ग में संसद में कहा कि तमाम विरोधों के बाद भी कम से कम 10 हजार युक्रेन नागरिकों की अब तक मौत हो चुकी है.अकेले मारियुपोल में 21000 से ज्यादा नागरिकों के मारे जाने की रिपोर्ट दर्ज हुई है. यहां के मेयर के मुताबिक लुहांस्क के पूर्वी क्षेत्र के शहर सिविएरोडोनेत्सक में करीब 1500 लोगों की जान गई है.

इसमें वह दोनों तरह की मौतें शामिल है जो रूसी हमले में मारे गए या रूसी हमले की वजह से भूख, बीमारी, खाद्य आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवा की कमी की वजह से मारे गए थे.

जेलेंस्की ने कहा इस हफ्ते तक रोज़ाना करीब 60 से 100 यूक्रेनी सैनिक मारे जा रहे हैं और करीब 500 से ज्यादा घायल हो गए हैं. रूस की तरफ से 25 मार्च को आखरी बार अपने सेना से जुड़े आंकड़े सामने आए थे, जब एक जनरल ने मीडिया को बताया था कि उनके करीब 1351 सैनिक मारे गए हैं और 3825 घायल हुए हैं.

हालांकि, यूक्रेन और पश्चिमी पर्यवेक्षकों का मानना है कि रूस ने जो आंकड़े दिए हैं संख्या उससे कई गुना अधिक है. जेलेंस्की ने कहा कि करीब 30000 से ज्यादा रूसी सैनिकों की मौत हुई है. यह अफगानिस्तान से चले 10 सालों के युद्ध से भी ज्यादा है. वहीं, अप्रैल के अंत में ब्रिटिश सरकार के अनुमान के मुताबिक रूस ने अपने करीब 15000 सैनिकों को खोया है.

खुफिया मामलों पर चर्चा करते हुए एक नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पश्चिमी अधिकारी ने बताया कि रूस में अभी भी सैनिकों के हताहत होने का सिलसिला चल रहा है. आधिकारिक अनुमान के मुताबिक करीब 40,000 रूसी सैनिक घायल हो चुके हैं.

वहीं, पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी इलाकों में अधिकारियों का कहना है कि डोनेट्स्क क्षेत्र में 1,300 से अधिक लड़ाके मारे गए और लगभग 7,500 घायल हुए हैं. इसके साथ ही 477 नागरिकों की मौत हुई और लगभग 2,400 घायल हुए; लुहान्स्क में 29 नागरिक मारे गए और 60 घायल हुए.

जिनेवा में यूक्रेन की राजदूत येवेनिया फिलिपेंका ने कहा इन 100 दिनों से जो बच्चों के दिलों में घाव बने है वह बहुत ज्यादा मायने रखते हैं, वह बच्चे जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया, घर खो दिया, खुद को अपने बच्चों को बचाती हुई मांओं के चेहरे किसी भी गिनती से बहुत ज्यादा है. दरअसल, यह मरने वालों की संख्या के बारे में नहीं बल्कि यूक्रेन के निवासियों ने जो पीड़ा भुगती है उसके बारे में हैं.

तबाही
लगातार होती गोलाबारी, हवाई हमलों ने कई शहरों और कस्बों को मलबे में तब्दील कर दिया है. यूक्रेन की संसदीय समीति ने बताया कि रूस की सेना ने करबी 38,000 से ज्यादा रिहाइशी इमारतें नष्ट कर दी, जिससे 220,000 लोग बेघर हो गए हैं.

करीब 1900 शैक्षणिक संस्थान जिसमें बच्चों के स्कूल से लेकर बड़े स्कूल और यूनिवर्सिटी तक शामिल हैं उन्हें भी क्षति पहुंचाई गई है, करीब 180 इमारते पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं.

अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्षति की बात की जाए तो करीब 300 कार, 50 रेल ब्रिज, 500 फैक्ट्री और करीब 500 अस्पतालों भी खत्म हो चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुमान लगाया है कि इस साल यूक्रेन में अस्पतालों, एंबुलेंस और स्वास्थ्य कर्मियों पर करीब 296 हमले हुए.

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घर का छूटना
यू.एन. शरणार्थी एजेंसी NHCR का अनुमान है कि करीब 68 लाख लोग युद्ध के दौरान यूक्रेन छोड़ने पर मजबूर हुए. पर जैसे ही रूसी सेना ने पूर्व और दक्षिण की तरफ रुख किया और कीव और आसपास की जगह पर शांति हुए तो करीब 22 लाख लोग वापस देश लौट आए.

यू.एन की इंटरनेशनल ऑरगेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के मुताबिक 23 मई तक करीब 71 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं यानी यह लोग देश में तो रह रहे हैं लेकिन अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.

ज़मीन पर कब्जा
यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि फरवरी में हुए हमले से पहले रूस का युक्रेनी क्षेत्र के करीब 7 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण था जिसमें क्रीमिया भी शामिल है, जिसे रूस ने 2014 में हड़प लिया था, और डोनेटस्क और लुहांस्क में अलगाववादियों ने कुछ इलाके पर कब्जा जमा रखा है. जेलेंस्की ने कहा कि रूसी सेना ने देश के करीब 20 फीसदी हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया है. फ्रंट लाइन लगातार बदल रही है. अतिरिक्त 58000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र रूस के नियंत्रण में आ चुका है यह इलाका क्रोएशिया के बराबर या अमेरिका के राज्य वेस्ट वर्जीनिया से थोड़ा ही छोटा होगा.

रूस और युक्रेन पर गहराता आर्थिक संकट
तेल और गैस क्षेत्रों सहित रूस के खिलाफ पश्चिम ने कई प्रतिबंध लगा दिए हैं. रूसी उर्जा से यूरोप खुद को दूर करने में लगा हुआ है. यूरोपियन संवाद के अकादमिक निदेशक एवगेनी गोंटमाखेर ने एक पेपर लिखा है, जिसमें उन्होंनें बताया है कि वर्तमान में रूस करीब 5000 से ज्यादा लक्षित प्रतिबंध झेल रहा है. करीब 300 अरब डॉलर का रूसी सेना और विदेशी मुद्रा भंडार पश्चिम ने फ्रीज कर दिया है. यही नहीं देश का एयर ट्रैफिक भी जनवरी और मार्च के बीच 81 लाख से घटकर 52 लाख रह गया है.

वहीं, कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट बताती है कि 1000 से ज्यादा कंपनियों ने खुद ही रूस से अपना संचालन बंद करने का फैसला लिया है. MOEX रूस स्टॉक इंडेक्स आक्रमण से ठीक पहले से लगभग एक चौथाई गिर गया है और साल की शुरुआत से लगभग 40 प्रतिशत नीचे आ गया है. रूसी सेंट्रल बैंक ने पिछले हफ्ते कहा कि अप्रैल में वार्षिक मुद्रास्फीति 17.8 फीसद तक आ चुकी है.

उधर, यूक्रेन ने युद्ध की वजह से अपनी जीडीपी के 35 फीसद तक खत्म होने की बात कही है. ज़ेलेंस्की के कार्यालय ने हाल ही में जानकारी दी है कि युक्रेन को करीब 600 बिलियन डॉलर का सीधा नुकसान हुआ है. युक्रेन एक प्रमुख कृषि उत्पादक राष्ट्र है, ऐसे में वह करीब 22 मिलियन टन अनाज निर्यात करने में असमर्थ रहा है. इसकी वजह रूसी सैनिकों का प्रमुख बंदरगाहों पर कब्जा करना रहा है. यही नहीं, जेलेंस्की ने रूस पर हमले के दौरान करीब 5 लाख टन अनाज चुराने का आरोप लगाया है.

बाकी दुनिया
इसका असर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है, बुनियादी सामान की लागत में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिल रही है. लंदन और न्यूयॉर्क में क्रूड ऑयल के दाम में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जिसकी वजह से पंप और पेट्रोलियम से संबंधित उत्पादों के दामों में भयानक उछाल आया है.

अफ्रीकी देशों में गेहूं की आपूर्ति पर गहरा असर पड़ा है, यहां 44 फीसदी से ज्यादा गेहूं रूस और यूक्रेन से आता है. जिससे अफ्रीकी विकास बैंकों ने अनाज के प्रायद्वीपीय दाम में 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है. यूक्रेन में यू.एन के आपदा समन्वयक अमिन अवाद का कहना है कि देश से मिलने वाले अनाज और खाद की कमी से दुनियाभर में करीब 140 करोड़ लोगों पर असर पड़ा है.

उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में निर्दोष नागरिक मारे गए, जो किसी तरह से स्वीकार्य नहीं है, यह ऐसा युद्ध है जिसमें किसी की जीत नहीं हुई है.

Tags: Russia, Russia ukraine war, Vladimir Putin



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