
डीलरों को मिलेगा लाइसेंस
जानकारी के मुताबिक, कार री-सेलर को सरकार द्वारा लाइसेंस भी जारी किया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करते पाए जाने पर इसे निरस्त भी किया जा सकता है। अब डीलर जिस कार की री-सेल करेगा उसका पंजीकरण अनिवार्य होगा। जानकारी के अनुसार, जैसे ही कोई व्यक्ति डीलर को अपनी कार बेचता है तो दोनों को इसकी जानकारी अपने स्थानीय आरटीओ में देनी होगी।

डीलर को वाहन के रजिस्ट्रेशन, फिटनेस और एनओसी जैसे दस्तावेजों के ट्रांसफर के लिए आवेदन होगा। इसके बाद डीलर वाहन का वैध मालिक माना जाएगा और कार से होने वाले किसी भी तरह के नियम उल्लंघन के लिए डीलर ही दोषी होगा।

गड़बड़ी के कई मामले आ चुके हैं सामने
डीलर द्वारा पुराने मालिक के नाम पर कार का इस्तेमाल करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। डीलर पुराना वाहन खरीदने के बाद उसे अपने नाम पर पंजीकृत करनवाने में देर करते हैं और तब तक वह कार का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां मालिक द्वारा डीलर को कार बेचे जाने के बाद उस कार का डीलरों ने गलत काम के लिए इस्तेमाल किया है। रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर नहीं होने के कारण कई बार ऐसी कारों पर चालान पहले मालिक के नाम पर काट दिया जाता है।

वर्तमान में, ऐसे वाहनों को सूचीबद्ध करने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब वाहन के नए मालिक को वाहन के पुराने मालिक द्वारा किए गए उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई से गुजरना पड़ा।

नए नियमों के अनुसार, वाहन की बिक्री डीलर के माध्यम से होगी और पुराने और नए खरीदारों के बीच कोई संबंध नहीं होगा। परिवहन कार्यालय में नए मालिक के विवरण को पंजीकृत करवाने की जिम्मेदारी डीलर की होगी।

वित्त वर्ष 2021 में, भारत में लगभग 30.5 लाख पुरानी कारों की बिक्री की गई थी। वहीं, इसी अवधि के दौरान वैश्विक स्तर पर 4 करोड़ से अधिक सेकेंड हैंड कारों को बेचा गया है। कई अध्ययनों के अनुसार, 2026 तक भारत में पुरानी कारों का बाजार 70 लाख को छू सकता है।

भारत में सेकेंड हैंड कारों के बाजार के 2026-27 तक 19.5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। इंडियन ब्लूबुक और दास वेल्टऑटो द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 तक छोटे शहरों में सेकेंड हैंड कारों की मांग में 30 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। वहीं, 40 प्रमुख शहरों में पुरानी कारों की मांग में 10 फीसदी का इजाफा होना तय है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस उछाल के पीछे का कारण प्रमाणित कारों की उपलब्धता, खर्च करने लायक आय, कार के कार्यकाल में गिरावट और दोपहिया वाहनों के स्वामित्व की कम अवधि है।