
एयरप्लेन टर्ब्यूलेंस दुनिया भर में तेजी से बढ़ने वाला है और इसका कारण है क्लाइमेट चेंज। हमारी जिंदगी के अन्य पहलुओं की तरह ही क्लाइमेट चेंज हवाई यात्रा के अनुभव को भी बदलने वाला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में समुद्र के बढ़ते स्तर और सूखों के साथ-साथ ग्लोबल स्तर पर क्लाइमेट चेंज की वजह से अधिक एयरप्लेन टर्ब्यूलेंस होंगे।

क्यों होता है एयरप्लेन टर्ब्यूलेंस?
जब विपरीत दिशा में तेज गति से बह रही दो एयर बॉडी टकराती है और प्लेन उस स्पेस से गुजरता है तो एयरप्लेन में टर्ब्यूलेंस आता है। आमतौर पर प्लेन थोड़ा हिलता है और ऐसे में सीट बेल्ट लगाये रखने की सलाह दी जाती है लेकिन कई बार टर्ब्यूलेंस भयावह रूप ले लेता है और ऐसे में यात्रियों को भरी चोट लगती है व कई तरह के बड़े नुकसान झेलने पड़ते है।

यूके के यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एटमोस्फियरिक साइंस के प्रोफेसर, पॉल विलियम्स ने बताया है कि टर्ब्यूलेंस के ताकत को मापने का भी एक स्केल है। अगर हल्की टर्ब्यूलेंस है तो आपको यह थोड़ा महसूस होगा लेकिन फ़ूड सर्विस जारी रह सकती है। उसके बाद थोड़ा अधिक टर्ब्यूलेंस हुआ तो आपकी सीट बेल्ट के विपरीत जोर लगेगा, जो भी सुरक्षित नहीं है वह बिखर जाएगा, चलने में परेशानी होगी जिस वजह से आमतौर पर फ्लाइट अटेंडेड को अपने सीट्स में बैठने की सलाह दी जाती है।

सबसे बड़ा खराब टर्ब्यूलेंस बड़ा टर्ब्यूलेंस होता है, यह ग्रेविटी से भी अधिक ताकतवर होती है। यह आपको सीट के विपरीत दिशा में दबाएगी और अगर कही आपने सीट बेल्ट नहीं पहना है तो आप केबिन में इधर-उधर उछल जायेंगे। इस तरह के टर्ब्यूलेंस से बड़ी घटनाएं हो जाती है, आमतौर पर ऐसे टर्ब्यूलेंस के दौरान हड्डी टूटना सामान्य बात है।

प्रोफेसर विलियम्स का मानना है कि क्लाइमेट चेंज टर्ब्यूलेंस में भी बदलाव ला रहा है। उन्होंने कहा कि हमनें कंप्यूटर पर कुछ गणनाएं की है और पता लगाया कि बड़ी टर्ब्यूलेंस आने वाले दशकों में दोगुनी या तिगुनी हो सकती है। प्रोफेसर विलियम्स ने एक और तरह के टर्ब्यूलेंस की ओर ध्यान आकर्षित किया और वह है “क्लियर एयर टर्ब्यूलेंस”।

बादलों या तूफान की वजह से आने वाले टर्ब्यूलेंस से अलग यह टर्ब्यूलेंस अचानक आता है और इससे बचना मुश्किल होता है। क्लियर एयर टर्ब्यूलेंस वर्ष 2050 – 2080 तक दुनिया भर में तेजी से बढ़ेगा। हालांकि इसका कतई यह मतलब नहीं है कि हावाई यात्रा करना असुरक्षित हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सिर्फ टर्ब्यूलेंस का औसत समय बढ़ने वाला है।

प्रोफेसर विलियम्स ने कहा कि, “आमतौर पर एक ट्रांसएटलांटिक फ्लाइट पर आप 10 मिनट के टर्ब्यूलेंस का उम्मीद करते हो। लेकिन आने वाले दशों में यह बढ़कर 20 मिनट या आधे घंटे होने वाला है। ऐसे में सीट बेल्ट के साइन ज्यादा समय के लिए ऑन दिखेंगे। ऐसे में हमेशा अपने सीट बेल्ट को बांधे रखना टर्ब्यूलेंस के दौरान बचने का एकमात्र उपाय है।”