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SBI से लोन लेना हुआ महंगा, बैंक ने सभी तरह के कर्ज पर ब्याज दरों में की बढ़ोतरी, पुराने ग्राहकों पर अधिक बोझ

SBI से लोन लेना हुआ महंगा, बैंक ने सभी तरह के कर्ज पर ब्याज दरों में की बढ़ोतरी, पुराने ग्राहकों पर अधिक बोझ

SBI- India TV Hindi News
Photo:PTI SBI

Highlights

  • SBI ने लोन की ब्याज दरें बढ़ाईं
  • ग्राहकों को अधिक देनी होगी EMI
  • नई दर 15 सितंबर यानी आज से प्रभावी

SBI से सभी तरह के लोन लेना महंगा हो गया है। बैंक ने एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। बैंक की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार,  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) को 70 बेसिस पॉइंट या 0.7 फीसदी तक बढ़ाने की घोषणा की है। इसी के साथ एसबीआई का बीपीएलआर अब 13.45 फीसदी पर पहुंच गया है। नई दर 15 सितंबर यानी आज से प्रभावी हो गया है। जानकारों का कहना है कि एसबीआई ने यह बढ़ोतरी की मौद्रिक पाॅलिसी में रेपो रेट में बढ़ोतरी की पूरी संभावना को देखते हुए किया है। सितंबर की मौद्रिक पाॅलिसी में आरबीआई रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। खुदरा महंगाई में उछाल के बाद रेपो रेट में बढ़ोतरी की संभावना और बढ़ गई है।

इस तरह लोन लेने वालों पर बढ़ेगा बोझ

एसबीआई का बीपीएलआर महंगा होने से नए और पुराने ग्राहकों की ईएमआई बढ़ेगी। यानी लोन री-पेमेंट पहले से अधिक हो जाएगा। बैंक लोन पर ब्याज दर में इजाफा करेंगे। पिछली बार अगस्त महीने में एसबीआई ने बीपीएलआर में बदलाव किया था। गौरतलब है कि बैंक पहले पुराने बेंचमार्क पर ग्राहकों को लोन दिया करते थे। अब अधिकांश बैंक एक्सटर्नल बेंचमार्क बेस्ड लेंडिंग रेट यानी कि ईबीएलआर पर लोन देते हैं। बैंक के इस फैसले से सबसे अधिक असर होम और कार लोन लेने वाले उपभोक्ताओं पर होगा। एसबीआई से देशभर में बड़ी संख्या में होम और कार लोन लेते हैं। वहीं, त्योहारी सीजन में घर या कार खरीदने की तैयारी कर रहे हैं लोगों पर भी ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा। 

अगस्त में 50 आधार अंकों तक की बढ़ोतरी

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अगस्त में अपनी मानक उधारी दरों को 50 आधार अंकों (या आधा प्रतिशत) तक बढ़ा दिया था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए अपनी बेंचमार्क उधार दर में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के कुछ दिनों बाद एसबीआई ने उधार दर में वृद्धि की है। बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दर (ईबीएलआर) और रेपो-सम्बद्ध उधार दर (आरएलएलआर) में 50 आधार अंकों की वृद्धि की थी, जबकि फंड आधारित उधारी दर की सीमांत लागत (एमसीएलआर) में सभी अवधि के लिए 20 आधार अंक की बढ़ोतरी की थी।

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