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महंगाई के बीच ब्रिटिश पीएम Liz Truss ने पूरा किया चुनावी वादा, आर्थिक वृद्धि के लिए पर्सनल और कॉरपोरेट Tax में की कटौती

महंगाई के बीच ब्रिटिश पीएम Liz Truss ने पूरा किया चुनावी वादा, आर्थिक वृद्धि के लिए पर्सनल और कॉरपोरेट Tax में की कटौती

Liz Truss- India TV Hindi News
Photo:PTI Liz Truss

ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने चुनावी भाषणों में कई बार टैक्स में कटौती का वादा किया था। चुनाव जीतने के बाद ट्रस ने अपना यह वादा पूरा भी कर दिया है। ब्रिटेन में नयी सरकार ने शुक्रवार को करों में कटौती के लिए विस्तृत योजना का ऐलान कर दिया है। बता दें कि ब्रिटेन अब तक की सबसे अधिक महंगाई और मंदी की आशंका से जूझ रहा है। सरकार का कहना है कि ये कदम ब्रिटेन की आर्थिक वृद्धि की तेजी को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। सरकार के ताजा फैसले से आम लोगों के साथ ही उद्योगों को फौरी राहत मिलेगी। 

कहां से होगी घटे टैक्स की भरपाई 

ब्रिटेन में नयी सरकार ने शुक्रवार को करों में कटौती के लिए विस्तृत योजना का ऐलान किया और कहा कि बढ़े हुए खर्च की भरपाई उधारी तथा राजस्व वृद्धि से की जाएगी। इसके तहत कॉरपोरेट कर की बढ़ी हुई दरों को वापस ले लिया गया और व्यक्तिगत आयकर में अगले साल से कटौती की घोषणा की गई। रहन-सहन की बढ़ी लागत लागत से लोगों को राहत देने तथा अर्थव्यवस्था में आ रही गिरावट को थामने के लिये यह कदम उठाया गया है। 

सरकार ने अभी नहीं खोले पत्ते 

वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग ने हालांकि नयी योजना के वित्त पोषण के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। अभी यह भी साफ नहीं है कि इसका सरकार के घाटे और उधारी कार्यक्रम पर कितना असर पड़ेगा। ब्रिटेन की नवनियुक्त प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने कहा है कि उनकी कंजरवेटिव सरकार आर्थिक वृद्धि के साथ करों को कम करने पर जोर देगी। उन्होंने इस सप्ताह घोषणा की था कि वह नौकरियों और निवेश को आकर्षित करने के लिए बैंक अधिकारियों के बोनस को बढ़ाने जैसे ’श्अलोकप्रिय निर्णय’ के लिए तैयार है। 

विपक्ष ने लगाया आरोप 

क्वार्टेंग ने कहा, हमें एक नए युग के लिए एक नए दृष्टिकोण की जरूरत है- वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना। शुक्रवार के बयान को बजट की जगह वित्तीय आयोजन नाम दिया गया था, क्योंकि इसके बजटीय उत्तरदायित्व के लिए स्वतंत्र कार्यालय से इसकी लागत का विश्लेषण नहीं किया गया था। विपक्षी लेबर पार्टी ने आरोप लगाया कि इस योजना में नौकरीपेशा लोगों की जगह कारोबारी वर्ग का अधिक ख्याल रखा गया है।

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