
इस रेस का नाम ‘ग्रेंड प्रिक्स ऑफ इंडिया’ रखा गया है। मोटो जीपी के इस फैसले के बाद फॉर्मूला वन रेस के कैलेंडर से हटने के नौ साल बाद वैश्विक मोटरस्पोर्ट की भारत में वापसी होगी। मोटो जीपी की ओर से जारी संभावित कैलेंडर के अनुसार साल 2023 में 22 से 24 सितंबर तक भारत में यह रेस होगी। विश्व की प्रमुख दोपहिया रेसिंग चैंपियनशिप का आयोजन फॉर्मूला वन की तरह बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर होगा।

यह वही सर्किट है जहां 2011 से 2013 तक फॉर्मूला वन रेसिंग हुई थी। मोटो जीपी ने घोषणा की कि भारत अगले साल मोटरसाइकिल ग्रैड प्रिक्स की मेजबानी करने वाला 31वां देश बन जाएगा। इसके अस्थायी कैलेंडर के मुताबिक 21 रेस के सत्र में भारत सितंबर में 14वें दौर की मेजबानी करेगा।

इससे पहले मोटो जीपी के कमर्शियल अधिकारी धारक डोर्ना इस महीने की शुरुआत में भारतीय रेस प्रमोटर्स फेयरस्ट्रीट स्पोर्ट्स (एफएसएस) के साथ 7 साल के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत आए थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ भी बैठक की।

उन्होंने कहा कि भारत मोटरसाइकिल उद्योग के लिए भी एक प्रमुख बाजार है, ऐसे में टू-व्हीलर्स की दुनिया में मोटोजीपी के लिए ये विस्तार होगा। उन्होंने आगे कहा कि हम बुध्द इंटरनेशनल सर्किट में रेसिंग के लिए बहुत उत्सुक हैं और प्रशंसकों का स्वागत करने के लिए लंबा इंतजार नहीं कर सकते।

इस दौरान यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि इस तरह के वैश्विक आयोजन की मेजबानी करना उत्तर प्रदेश के लिए बहुत गर्व की बात है। हमारी सरकार मोटोजीपी भारत को पूरा सहयोग देगी। इस रेस को करवाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों तरफ से मदद की जाएगी।

भारत में वित्तीय गड़बड़ी होने की वजह से फॉर्मूला 1 को रेस प्रमोटरों ने बंद कर दिया था। लेकिन इस बार एफएसएस हर साल रेस की मेजबानी के लिए लाखों डॉलर खर्च करेगा। उसे विश्वास है कि वह टैक्स से संबधित होने वाली समस्या का निराकरण अब जल्दी हो जाएगा।

मोटोजीपी के रेसिंग इवेंट के दौरान राइडर और कर्मचारियों को मिलाकर करीबन 5000 लोगों को शामिल किया जाता है। डोर्ना के एमडी कार्लोस एजपेलेटा के मुताबिक उन्होंने एक हफ्ते में रेस के जरिए 100 मिलियन यूरो बिजनेस कर चुके हैं। देश दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया बाजार होने के साथ, कार्लोस कहा कि मोटोजीप और भारत एक दूसरे के लिए बने हैं।