
उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर से दिल्ली में ये नया नियम लागू कर दिया जाएगा। गोपाल राय ने ये भी कहा कि 15 पॉइंट वाला एक्शन प्लान लागू करने के लिए आज से यानी 3 अक्टूबर को 24×7 वॉर रूम लॉन्च किया जाएगा। वॉर रूम में 15 वैज्ञानिक तैनात किए जाएंगे जो दिल्ली के प्रदूषण पर 24 घंटे नजर रखेंगे।

परिवहन विभाग की 84 प्रवर्तन टीमें कुछ दिनों में एक अभियान चलाएगी जिसमें पीयूसी प्रमाणपत्र न रखने वाले वाहनों का चालान किया जाएगा। दिल्ली सरकार प्रदूषण के निपटने के लिए लगातार जरूरी कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 पॉइंट में एक्शन प्लान का ऐलान किया है। जिसमें एक ऐसी टीम तैयार की जाएगी जो कचरा जलाने वालों को रोकने, धूल और वाहने से निकलने वाले धूएं से होने वाले प्रदूषण को रोकेगी।

इसके अलावा गोपाल राय ने यह भी बताया कि 6 अक्टूबर से दिल्ली में एंटी डस्ट प्रदूषण कैंपेन भी शुरू होने जा रहा है। 10 अक्टूबर से दिल्ली के खेतों में पराली गलाने के लिए बायो डीकम्पोजर का छिड़काव शुरू किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली सरकार ने पहले भी वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ये कदम उठाया था। उस दौरान दिल्ली सरकार ने पीयूसी सर्टिफिकेट ना होने पर 6 महीने की जेल या 10 हजार का जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया था।

परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शहर में 19 लाख से अधिक दोपहिया, कार, टैक्सी और कॉमर्शियल वाहन हैं, जिनमें से सिर्फ 79 वाहन ही शहर के हैं। ज्यादातर शहर में चलने वाले वाहन पड़ोसी शहरों गुड़गांव, फरीदाबाद, रोहतक, पानीपत, लोनी, गाजियाबाद और नोएडा में पंजीकृत हैं जो हर दिन दिल्ली आते हैं लेकिन नियमित प्रदूषण जांच नहीं कराते हैं।

सरकार ने वाहन मालिकों को अपने वाहन के प्रदूषण उत्सर्जन की जाँच के लिए तीन सप्ताह से अधिक समय दिया है और शहर में मात्र 950 से थोड़ा ज्यादा केंद्रों हैं। जिसकी वजह से प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए वाहनों की लंबी कतार होने की आशंका है।

सितंबर 2019 में जब मोटर वाहन अधिनियम को संशोधित कर लागू किया गया, तो पीयूसी कियोस्क पर वाहनों की भीड़ से अफरा-तफरी मच गई थी। वैध पीयूसी प्रमाण पत्र नहीं होने पर जुर्माना 1,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया था। उस समय 1,000 से कम कियोस्क का एक छोटा नेटवर्क हुआ करता है जो पर्याप्त नहीं था। जिससे वाहन मालिकों को अपनी बारी के लिए पांच से छह घंटे इंतजार करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। मशीनों में भी तकनीकी समस्या हो रही थी और सिस्टम में खराबी से देरी हुई थी।

क्योंकि ज्यादातर पीयूसी सेंटर फ्यूल स्टेशन पर बने हैं ऐसे में वहां ज्यादा ट्राफिक होने की संभवना है। शहर में बिना पीयूसी के चलने वाले वाहन भारी तदाद में हैं। ऐसे में सिस्टम में पिछले सालों की तरह गड़बड़ी होने की अशंका है। हालांकि सरकार का कहना है कि उसने एडवांस और फास्ट सिस्टम एनआईसी की मदद से बनाया है, जिसकी वजह से पिछले कुछ महीने से पीयूसी में किसी भी तरह की तकनीकी समस्या नहीं आई है। अभियान की घोषणा की वजह से अगले 15-20 दिनों के लिए पीयूसी कियोस्क में जमकर वाहनों की भीड़ होगी।

ड्र्राइवस्पार्क के विचार
वायु प्रदूषण दिल्ली के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। खासतौर से यह सर्दी के महीने में मुसीबत का सबब बन जाता है। दिल्ली में चारों तरफ स्मॉग, कोहरा हो जाता है। जिससे वहां मौजूद लोगों को कई स्वस्थ्य सबंधी समस्या होने लगती हैं। जिसमें सांस लेने सबंधित बीमारी आम है। ऐसे में सरकार की इस पहल से थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।