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बिरयानी सेंटर की आड़ में सट्‌टे का संचालन: जायका बिरयानी सेंटर का संचालक महादेव बुक का बुकी निकला, नाम सामने आते ही फरार,

बिरयानी सेंटर के आड़ पर महादेव बुक चलाने वाले रैकेट का भंडाफोड हुआ है। महादेव बुक के रैकेट में शामिल बुकी ने बिरयानी सेंटर में पार्टनर बनाने का झांसा देकर ड्राइवरों, ऑटो-रिक्शा वालों की आईडी ली और उनकी जानकारी के बगैर उसी एक आईडी से 6-6 बैंक खाते खोल लिए। उसके बाद पुलिस और प्रशासन को झांसा देने उसी खाते से सट्‌टे के करोड़ों रुपयों का ट्रांजेक्शन किया।

पुलिस तहकीकात के दौरान खाता जिसके नाम पर है, उस तक पहुंची तब फर्जीवाड़ा फूटा। उसके बाद पुलिस ने पहली बार राज्य में महादेव बुक रैकेट चलने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए चारसौबीसी का केस दर्ज किया है। अब तक उनके खिलाफ केवल जुआ एक्ट के तहत सामान्य केस ही दर्ज किया जा सका था। पुलिस अब खाता खुलवाने वाले आरोपियों की तलाश कर रही है। एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि महादेव बुक में 7 बुकी और उनके लिए दांव लेने वाले 55 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

यह राज्य में बड़ी कार्रवाई है। इतना ही नहीं अभी तक 466 से ज्यादा बैंक खातों का पता लगाया जा चुका है। इनका रिकार्ड खंगाला जा रहा है। इनमें से कुछ खातों में जमा 95 लाख फ्रीज किया जा चुका है। पुलिस का कहना है कि इतने खातों में ज्यादातर को मालूम ही नहीं है कि उनके खातों में करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन हो रहा है। अब जब पुलिस एक-एक कर खाता खोलने वालों तक पहुंच रही है तब उन्हें भी पता चल रहा है। उन्हें झांसा देकर आईडी ली गयी और उसका दुरुपयोग किया जा रहा है।

पुलिस को झांसा देने कारोबार की आड़ में सट्‌टा
पुलिस अफसरों ने बताया कि तात्यापारा निवासी आशीष भालकर और नावेद कुरैशी की जायका बिरयानी सेंटर है। आरोपियों ने दुर्ग में भी अपनी ब्रांच खोली है। आशीष ने महादेव बुक का आईडी ली है। वह कर्मचारी रखकर उनके माध्यम से आईडी चला रहा है। उसने नयापारा में रहने वाले अपने दोस्त शेख कमालुद्दीन से संपर्क किया। उन्हें अपने बिरयानी सेंटर में पार्टनर बनाने का झांसा दिया। उनसे कहा कि राज्य में ब्रांच खोल रहे हैं। उसमें उन्हें पार्टनर बनाया जाएगा। उनके खाते में पैसा जमा होगा।

इसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिलेंगे। कमालुद्दीन इसके लिए तैयार हो गए। उसके बाद आरोपी ने उनसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो समेत अन्य दस्तावेज ले लिए। उनका एटीएम भी रख लिया। उसके बाद आरोपी उसमें महादेव बुक का पैसा जमा कराने लगे।

उन्होंने कई बार अपना एटीएम और पासबुक मांगी। आरोपी ने कोई न कोई बहाना कर उन्हें टाल दिया। जब महादेव बुक के संबंध में जानकारी हुई तो कमालुद्दीन ने पुलिस से संपर्क किया। भांडा फूटने के बाद आशीष भालकर, नावेद कुरैशी और उनका साथी प्रीतम अग्रवाल फरार है। पुलिस तीनों की तलाश कर रही हैं। आरोपी आशीष के नाम पर एक ही बैंक में कई खाते मिले हैं।

शैल कंपनियों के खातों का उपयोग
पुलिस अफसरों के अनुसार महादेव बुक का पैसा शैल कंपनियों के खाते में जमा किया जा रहा है। 200 से ज्यादा शैल कंपनियों की जानकारी पुलिस को मिली है। सभी पं. बंगाल की कंपनी है, जो सिर्फ कागजों पर चल रहा है। धरातल पर नहीं है। कार्पोरेट कंपनियों के नाम पर खाता खोला गया है। पुलिस अब इन फर्जी कंपनियों से पैसा ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाल रही है। इन खातों से पैसा कहां जा रहा है। उसका लिंक ढूंढा जा रहा है। पैसा किसके खाते में जमा हो रहा है। उसे कहां निकाला जा रहा है। इसमें कौन शामिल हैं।

लिंक तलाश कर रही पुलिस
छत्तीसगढ़ के कई शहरों में महादेव बुक का रैकेट भेदने के बाद पुलिस दुबई में गैंग लीडर का लिंक तलाश कर रही है। पुलिस अफसर अलग-अलग माध्यम से ये पता लगवा रहे हैं कि रैकेट के सरगना और उसके साथी ने किस आधार पर वहां की नागरिकता ली है। उनके साथ कौन-कौन वहां सेटल हुआ है? वहां कौन कौन से शहरों में उन्होंने अपना नेटवर्क फैलाया है। देश के कौन कौन से शहरों में उनकी बुकी कटिंग ले रहे हैं। आरोपी अभी यहां किस किस के संपर्क में हैं? ये जानकारी भी जुटायी जा रही है।

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