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भारत में Twitter के वेरिफाइड एकाउंट्स पर दिखने लगा नया ऑफिशियल टिक

भारत में Twitter के वेरिफाइड एकाउंट्स पर दिखने लगा नया ऑफिशियल टिक

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Twitter ने भारत में न्यूज वेबसाइट्स और प्रमुख व्यक्तियों के वेरिफाइड एकाउंट्स पर “ऑफिशियल” शब्द के साथ एक नया टिक बैज दिखाना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही Gadgets 360 के ट्विटर एकाउंट को यह टिक मिला है। हालांकि, किसी एकाउंट के वेरिफाइड होने का संकेत देने वाला ब्लू टिक भी दिख रहा है। 

पिछले सप्ताह ट्विटर ने किसी प्रतिष्ठित संस्थान या व्यक्ति को ट्विटर की ओर से वेरिफाइड किए जाने का संकेत देने वाले ब्लू टिक का तरीका बदल दिया था। यह अब कंपनी की पेड सर्विस Twitter Blue को सब्सक्राइब करने वाले सभी व्यक्तियों को दिया जाएगा। ट्विटर के नए CEO, Elon Musk के कंपनी को टेकओवर करने के बाद किए गए बड़े बदलावों में ट्विटर ब्लू का तरीका बदलने के साथ ही इस सर्विस के लिए प्राइस को बढ़ाकर लगभग 8 डॉलर प्रति माह करना शामिल था। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि वह इस सर्विस को भारत सहित कई देशों में बढ़ाना चाहते हैं और इसका प्राइस विशेष देश में परचेजिंग पावर के अनुसार तय किया जाएगा। 

ट्विटर ब्लू के सब्सक्राइबर्स को सर्च के रिजल्ट्स, रिप्लाई थ्रेड्स और ट्रेंडिंग टॉपिक की लिस्ट्स में भी प्रायरिटी मिलेगी। मस्क ने ट्विटर का कंट्रोल हासिल करने के बाद कंपनी के CEO, पराग अग्रवाल, CFO नेड सेगल, जनरल काउंसल सीन एडगेट और लीगल पॉलिसी, ट्रस्ट और सिक्योरिटी हेड विजया गड्डे को कंपनी से बाहर कर दिया है। ट्विटर के लिए एक बड़ी समस्या मॉनेटाइजिंग की रही है। मस्क इसका समाधान करना चाहते हैं और उनके कुछ आइडिया के बारे में सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है।

भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर को प्रतिबंधित और गलत जानकारी वाले कंटेंट को रोकने के लिए इन प्लेटफॉर्म्स को कानूनी तौर पर जवाबदेह बनाने के लिए केंद्र सरकार IT रूल्स में संशोधन कर रही है। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश में ऑपरेट कर रहे Facebook और Twitter जैसे प्लेटफॉर्म्स को देश के कानूनों का पालन करने के साथ ही यूजर्स के संवैधानिक अधिकारियों का ध्यान रखना होगा। नए रूल्स में अपीलेट कमिटी बनाने का प्रावधान है, जो कंटेंट हटाने या ब्लॉक करने से जुड़े निवेदनों पर बड़ी टेक कंपनियों के फैसलों को रद्द कर सकती है। सोशल मीडिया कंपनियों पर कंटेंट को लेकर लापरवाही बरतने या शिकायतों का जल्द समाधान नहीं करने के आरोप लगते रहे हैं। 

 

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