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Rajat Sharma’s Blog : रिश्वत और पलायन के जाल में फंसी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी

Rajat Sharma's Blog : रिश्वत और पलायन के जाल में फंसी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी

इंडिया टीवी चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ, रजत शर्मा- India TV Hindi News

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इंडिया टीवी चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ, रजत शर्मा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को अब नई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिस कंचन जरीवाला को टिकट दिया था उसने अपना नाम वापस ले लिया है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि उसके उम्मीदवार का अपहरण कर लिया गया है। वहीं दिल्ली में ‘कैश फॉर टिकट’ मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने आप विधायक के एक रिश्तेदार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों ने कहा, आप कार्यकर्ता शोभा खारी के पति गोपाल खारी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने उनकी पत्नी को एमसीडी चुनाव में टिकट दिलाने के बदले 90 लाख रुपये की मांग की थी।

 
एसीबी अधिकारियों ने कहा, ‘शिकायतकर्ता गोपाल खारी ने आरोप लगाया था कि उसने अखिलेश पति त्रिपाठी को 35 लाख रुपये और वजीरपुर से आप विधायक राजेश गुप्ता को 20 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर दिए थे। इस शिकायत के आधार पर एसीबी की टीम ने कार्रवाई की और ओम सिंह, जिसे अखिलेश पति त्रिपाठी का रिश्तेदार बताया जा रहा है, उनके पीए शिव शंकर पांडेय उर्फ विशाल पांडे और एक तीसरा व्यक्ति  प्रिंस रघुवंशी को गिरफ्तार कर 22 लाख रुपये नकद बरामद किया।’ 

कैश फॉर टिकट का वीडियो सामने आते ही अरविंद केजरीवाल के कट्टर ईमानदारी के दावे पर सवालिया निशान लग गया है। इस वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि एमसीडी चुनावों में आप का टिकट पाने के लिए पैसों का लेन-देन किया जा रहा है। यह वीडियो ऐसा सबूत है कि इस बारे में आम आदमी पार्टी के नेता ये नहीं कह पाए कि उनके लोगों ने टिकट के लिए पैसे का लेन-देन नहीं किया। उन्हें यह नहीं सूझ रहा कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया दें।
 
सबसे पहले ‘कैश फॉर टिकट’ घोटाले के बारे में आपको बताता हूं। इल्ज़ाम है कि आम आदमी पार्टी के दो विधायकों अखिलेश पति त्रिपाठी और राजेश गुप्ता ने एमसीडी चुनाव में टिकट दिलाने के लिए 90 लाख रुपए मांगे। इनमें से 55 लाख रुपए एडवांस के तौर पर ले लिए गए। बाकी रकम काम होने के बाद लेने की बात कही। एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों का दावा है कि शिवशंकर पांडेय, अखिलेश पति त्रिपाठी का प्रतिनिधि है और उसे विधानसभा का पास भी जारी किया गया था। 

असल में यह मामला आम आदमी पार्टी के एक पुराने कार्यकर्ता गोपाल खारी की शिकायत पर सामने आया।  गोपाल खारी ने एसीबी से शिकायत की थी कि वह अपनी पत्नी शोभा खारी को एमसीडी का चुनाव लड़ाना चाहता था। उसने आम आदमी पार्टी का टिकट दिलाने के लिए आवेदन दिया। इसके बाद  9 नवंबर को वह मॉडल टाउन विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी से मिला। गोपाल खारी का आरोप है कि उसकी पत्नी को टिकट दिलाने के एवज़ में अखिलेश पति त्रिपाठी और राजेश गुप्ता ने 90 लाख रुपए मांगे थे। गोपाल खारी ने एसीबी को बताया कि उन्होंने 35 लाख रुपए अखिलेश पति त्रिपाठी को और 20 लाख रुपए वज़ीरपुर सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता को दिए। गोपाल खारी का दावा है कि विधायकों की तरफ़ से यह रकम उनके प्रतिनिधि ओम सिंह और पीए शिवशंकर पांडेय ने ली।

अब सवाल ये है कि इस पूरे मामले का खुलासा कैसे हुआ ? असल में हुआ यह कि पैसे देने के बाद भी जब गोपाल खारी को यह लगा कि उसकी पत्नी को टिकट नहीं मिलने वाला है तो उसने पैसा वापस करने के लिए अखिलेश पति त्रिपाठी पर दबाव बनाना शुरू किया। अखिलेश पति त्रिपाठी ने 35  लाख में से 33 लाख रुपए ओम सिंह और प्रिंस रघुवंशी के जरिए गोपाल खारी को भेजे। जब अखिलेश पति त्रिपाठी का आदमी गोपाल खारी को पैसे लौटाने पहुंचा तो गोपाल खारी ने इसका वीडियो बना लिया। 

इस वीडियो में गोपाल खारी, ओम सिंह से फोन पर बात करते हुए दिखाई दे रहा है और यह कह रहा है कि जो पैसे लौटाए गए हैं, उनमें दो लाख कम हैं। उसने कहा, ‘दो हज़ार के नोटों की एक गड्डी कम है।’ ओम सिंह ने कहा कि वो इसका पता लगाएगा। गोपाल खारी ने ओम सिंह से बात करने के दौरान ही पैसे लेकर आने वाले प्रिंस रघुवंशी से दोबारा पैसे गिनवाए और ओम सिंह को फिर से बताया कि दो लाख कम हैं। एक अन्य वीडियो में ओम सिंह, गोपाल खारी की पत्नी को टिकट न मिलने पर सफाई दे रहा है। ओम सिंह ने गोपाल खारी से कहा कि एक सीट पर दो गुर्जरों को नहीं उतारा जा सकता था, शायद इस वजह से टिकट नहीं मिला। गोपाल खारी ने ये वीडियो सबूत के तौर पर एसीबी को सौंप दिए। इन सबूतों के आधार पर एसीबी ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर 22 लाख रुपए बरामद किए। 
 
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया कि यह पैसा केजरीवाल और उनके सहयोगी दुर्गेश पाठक के लिए था। कपिल मिश्रा ने कहा-‘आप नेता एमसीडी चुनावों के लिए टिकट बेच रहे थे। केजरीवाल सरकार निगम में भ्रष्टाचार का केजरीवाल मॉडल लाना चाहती है।’

दक्षिण दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश विधूड़ी ने आरोप लगाया कि टिकट के बदले 90 लाख की मांग करने वाले सिर्फ दो विधायक नहीं हैं। उन्होंने कहा-‘इस मामले में केजरीवाल की पार्टी के तीन और विधायकों का नाम सामने आ रहा है। उन्होंने केजरीवाल को चुनौती दी कि वे दोनों विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी और राजेश गुप्ता को पार्टी से निकालें। 

जब मामला बढ़ा और बयानबाज़ी होने लगी तो मनीष सिसोदिया ने सफाई दी। सिसोदिया ने कहा-‘पैसा किसने दिया और किसने लिया, ये बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात यह है कि पैसा देने के बाद भी आम आदमी पार्टी का टिकट नहीं मिला। यह खबर आम आदमी पार्टी के लिए अच्छी ख़बर है। यह इस बात का सबूत है कि आम आदमी पार्टी में टिकट बिकते नहीं हैं। पैसा देने के बाद भी टिकट नहीं मिलता।’ ओम सिंह और शिव शंकर पांडे को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि प्रिंस रघुवंशी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने केजरीवाल को लताड़ा और पूछा, ‘अब उनका लोकपाल और उनकी ईमानदारी कहां है? केजरीवाल चुप क्यों हैं?’

उधर, शिकायतकर्ता गोपाल खारी को अब अपनी जान का डर सता रहा है। खारी ने कहा कि उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। 
 
मैं अरविंद केजरीवाल को याद दिलाना चाहता हूं कि 2013 में जब उन्होंने दिल्ली के सीएम का पदभार संभाला था तो कैसे उन्होंने लोगों से अपील की थी कि अगर कोई रिश्वत मांगे तो दे देना और उसका वीडियो बना लेना। गोपाल खारी ने केजरीवाल का ये फॉर्मूला याद रखा और वैसा ही किया। जब केजरीवाल चुनाव लड़ रहे थे तो कहते थे कि अगर किसी पार्टी के नेता वोट के बदले नोट दें तो चुपचाप ले लेना, लेकिन वोट मत देना। इसे उनकी पार्टी के विधायकों ने घोल कर पी लिया। टिकट के बदले गोपाल खारी से पैसे ले लिए लेकिन टिकट नहीं दिया।

सिसोदिया खुलेआम कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी में पैसा देने के बाद भी टिकट नहीं मिलता। लेकिन इस मामले में केजरीवाल औऱ सिसोदिया को एक बात समझ लेनी चाहिए। टिकट के लिए पैसे लेने वाला, पैसा देने वाला, नोट गिनने वाला, वीडियो बनाने वाला,पुलिस में शिकायत करने वाला सब आम आदमी पार्टी के लोग हैं। लाख चाह कर भी केजरीवाल इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। क्योंकि सबकुछ वीडियो में रिकॉर्ड है। इसीलिए अपने आप को कट्टर ईमानदार कहने वाले वीडियो देखकर चकरा गए।
 
केजरीवाल के लिए चिंता का एक और  विषय दिल्ली से लगभग 1,100 किमी दूर सूरत में था। केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि सूरत में बीजेपी ने उनके एक उम्मीदवार का अपहरण कर लिया है, वो लापता है। लेकिन बुधवार शाम तक आप उम्मीदवार कंचन जरीवाला ने कैमरे पर आकर कहा कि उसे किसी ने किडनैप नहीं किया। उन्होंने अपने समर्थकों के दबाव में चुनाव मैदान छोड़ने का फैसला लिया है। जरीवाला ने अपहरण के आरोपों को खारिज कर दिया।

दरअसल, सूरत में यह चर्चा जोरों पर थी कि केजरीवाल की पार्टी का उम्मीदवार मैदान छोड़ सकता है। खबर उड़ी तो आम आदमी पार्टी के तमाम नेता एक्टिव हो गए लेकिन कंचन जरीवाला अंडरग्राउंड हो गए। वे आम आदमी पार्टी के नेताओं के संपर्क में नहीं थे। जरीवाला रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर गए, अपना नामांकन वापस ले लिया और पांच मिनट के भीतर मीडिया के सामने आ गए। केजरीवाल ने ट्वीट किया ‘ गुंडों और पुलिस के दम पर उम्मीदवारों को अगवा करके उनका नामांकन वापिस करवाया जा रहा है। इस किस्म की सरेआम गुंडागर्दी भारत में कभी नहीं देखी गयी। फिर चुनाल का क्या मतलब रह गया ? फिर तो जनतंत्र खत्म है। ‘  

आम आदमी पार्टी के के गुजरात प्रभारी राघव चड्ढा ने ट्वीट किया, ‘देखिए कैसे पुलिस और भाजपा के गुंडे एक साथ हमारे सूरत पूर्व के उम्मीदवार कंचन जरीवाला को रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर में घसीट कर ले गए,  और उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया । ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ शब्द एक मजाक बन कर रह गया है!’
 
दिल्ली में मनीष सिसोदिया पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव आयोग मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। बाद में आप के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। चुनाव आयोग ने आप के ज्ञापन को गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेज दिया।

आम आदमी पार्टी की गुजरात ईकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने आरोप लगाया कि कंचन जरीवाला मंगलवार से लापता हैं, जब नामांकन की जांच चल रही थी। इटालिया ने कहा, ‘वह बीजेपी के लोगों से घिरे हुए रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर में आए। जरीवाला को धमकाया गया और पीटा गया। उन्होंने अपनी मर्जी से नामांकन वापस नहीं लिया।’
 
जरीवाला की रिटर्निंग ऑफिसर से मुलाकात के वीडियो से स्पष्ट हो जाता है कि वह किसी दबाव में थे या नहीं। वीडियो में रिटर्निंग ऑफीसर ने कंचन जरीवाला से साफ-साफ और बार-बार पूछा कि किसी का दबाव तो नहीं है, किसी का खौफ तो नहीं है, किसी ने कोई लालच तो नहीं दिया है? इस पर जरीवाला ने कहा-‘मैं अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के अपना नामांकन वापस ले रहा हूं। मुझे कुछ नहीं कहना है।’ 

इंडिया टीवी रिपोर्टर ने कंचन जरीवाला से बात की। उन्होंने कहा, ‘मुझे न तो किसी ने डराया और न ही धमकी दी, न ही मेरा अपहरण किया गया। समर्थकों के दबाव के कारण मैं अपने रिश्तेदार के घर पर था। आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने से समर्थक नाराज़ थे। इसलिए उन्होंने परिवार और समर्थकों से बात करने के बाद पर्चा वापस ले लिया।’
 
सूरत पहुंचे आप नेता राघव चड्ढा ने कहा, ‘जरीवाला चाहे जो भी दावा करें, वह काफी दबाव में थे। तीन दिन पहले तक वह जमकर प्रचार कर रहे थे, पिछले 24 घंटे में ऐसा क्या हो गया कि वह ऐसी बातें कहने लगे और अपना नामांकन वापस ले लिया। गुंडागर्दी हो रही है, गुजरात में ‘जंगल राज’ है और पुलिस चुपचाप सबकुछ देख रही है।’ 

अब कट्टर ईमानदार नेता बताएं कि किसने अपहरण किया, किसने जरीवाला से पर्चा वापस करवाया और किसने गुंडागर्दी की। आरोप लगाने वाले भी आम आदमी पार्टी के नेता और जवाब देने वाले भी आम आदमी पार्टी के नेता। अब जनता किस पर यकीन करे? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 नवंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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