Photo:FILE एफपीआई विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर विश्वास बढ़ा है। शेयर बाजार से मिले डेटा के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने नवंबर में अबतक उन्होंने शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 31,630 करोड़ रुपये डाले हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अगस्त और सितंबर में शुद्ध बिकवाल रहने के बाद अब आगे चलकर एफपीआई द्वारा बड़ी बिकवाली की संभावना नहीं है। ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि का चक्र समाप्त होने की संभावना, मुद्रास्फीति में नरमी, अमेरिका के उम्मीद से बेहतर वृहद आर्थिक आंकड़ों तथा भारतीय अर्थव्यवस्था की जुझारू क्षमता की वजह से एफपीआई भारतीय शेयरों में पैसा लगा रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 25 नवंबर के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 31,630 करोड़ रुपये का निवेश किया है। लगातार दो महीने की थी निकासी इससे पहले अक्टूबर में उन्होंने आठ करोड़ रुपये तथा सितंबर में 7,624 करोड़ रुपये की निकासी की थी। अगस्त में एफपीआई 51,200 करोड़ रुपये के शुद्ध लिवाल रहे थे। वहीं जुलाई में उन्होंने 5,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। इससे पहले अक्टूबर, 2021 से एफपीआई लगातार नौ माह तक बिकवाल रहे थे। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि भू-राजनीतिक चिंताओं की वजह से निकट भविष्य में एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा। इस साल अभी तक एफपीआई ने शेयरों से 1.37 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। भारत के साथ इन देशों में भी बढ़ाया निवेश मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि नवंबर में एफपीआई का प्रवाह बढ़ने की वजह शेयर बाजारों में तेजी, भारतीय अर्थव्यवस्था और रुपये की स्थिरता है। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 2,300 करोड़ रुपये की निकासी की है। भारत के अलावा इस महीने फिलिपीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड के बाजारों में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक रहा है। Latest Business News Source link Share This OnClick to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Click to share on WhatsApp (Opens in new window) RELATED Post navigation भारत में आ रही हीरो-हार्ले डेविडसन की दमदार बाइक, भूल जाएंगे बुलेट खरीदना! पुरानी पेंशन योजना को लेकर नीति आयोग ने कही ये अहम बातें, राजनीतिक दलों को भी नसीहत