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Android पर फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में Google

Google के कारोबारी तरीकों से भारतीय कंज्यूमर्स और इकोनॉमी को नुकसान, MapMyIndia का आरोप
इंटरनेट सर्च इंजन Google ने कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) के Android से जुड़े मार्केट में उसे कॉम्पिटिशन विरोधी तरीकों का दोषी पाए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की है। इस फैसले से गूगल को एंड्रॉयड को लेकर अपनी मार्केटिंग में बदलाव करना होगा।

CCI ने गूगल को चलाने वाली अमेरिकी कंपनी Alphabet Inc पर एंड्रॉयड के मार्केट में अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में लगभग 16.1 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था। भारत में लगभग 97 स्मार्टफोन्स एंड्रॉयड पर चलते हैं और गूगल के लिए यह एक बड़ा मार्केट है। इस फैसले के खिलाफ गूगल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। इस बारे में भेजे गए प्रश्न का गूगल के प्रवक्ता ने उत्तर नहीं दिया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) ने गूगल को इस पेनल्टी का 10 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया है। NCLAT की दो सदस्यीय बेंच ने बुधवार को CCI की ओर से लगाई गई पेनल्टी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। बेंच का कहना था कि वह अन्य पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोई आदेश देगी।

NCLAT ने इस मामले में CCI को नोटिस जारी किया है। पेनल्टी पर अंतरिम रोक लगाने पर 13 फरवरी को सुनवाई होगी। गूगल ने NCLAT में याचिका दायर कर CCI के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कंपनी को एंड्रॉयड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम में अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने का दोषी बताया गया था। गूगल का कहना था कि यह फैसला भारतीय यूजर्स के लिए एक झटका है और इससे देश में ऐसे डिवाइसेज महंगे हो जाएंगे।

गूगल ने इस आदेश को NCLAT में चुनौती दी थी। गूगल ने अपनी याचिका में पेनल्टी पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। देश में एंड्रॉयड-बेस्ड स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल करने वाले कई लोगों से शिकायतें मिलने के बाद CCI ने इस मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया था। एंड्रॉयड एक ओपन सोर्स मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसे स्मार्टफोन्स और टैबलेट्स के ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEM) की ओर से इंस्टॉल किया जाता है। कंपनी के खिलाफ CCI के फैसले में कहा गया था कि पूरे Google Mobile Suite का प्री-इंस्टालेशन अनिवार्य करना और इसे अन-इंस्टॉल करने का विकल्प नहीं होना डिवाइस मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक अनुचित शर्त है और यह कॉम्पिटिशन कानून का उल्लंघन करती है।

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