अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी और की कार चलाकर उससे दुर्घटना करता है तो कार के मालिक के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है?
जानकारों के मुताबिक अगर अंजलि जैसा हादसा किसी कार या यात्री वाहन से होता है तो पुलिस आईपीसी की धारा 279, 304 या 304ए के तहत मामला दर्ज करती है। अंजलि के मामले में भी ऐसा ही किया गया है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 279, 304 और 304ए भी लगाई है। तो पहले जानते हैं कि इन धाराओं के प्रावधान क्या हैं।
आईपीसी धारा 279
आईपीसी की धारा 279 के मुताबिक, यदि कोई सड़क पर लापरवाही से वाहन चलाता है, जिससे किसी व्यक्ति को चोट लगती है या उसकी मौत हो जाती है, तो उसे आरोपी माना जाएगा।
क्या है दंड का प्रावधान
दोष सिद्ध होने पर, अभियुक्त को जेल की सजा हो सकती है जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना जो 1000 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। अभियुक्त को दोनों तरीकों से दंडित किया जा सकता है। यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है। ऐसे मामलों की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
आईपीसी धारा 304
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक, जो कोई भी गैर-इरादतन हत्या करता है, वह हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, उसे आरोपी माना जाएगा।
दंड का प्रावधान
दोषी पाए जाने पर, अभियुक्त को आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। साथ ही दोषियों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। यदि कोई काम ये बात पता होने बावजूद किया जाता है कि इससे जीवन की हानि हो सकती है तो उसे दोषी माना जाएगा।
वहीं बिना किसी इरादे के भी किया गया यह काम ऐसी शारीरिक चोट का कारण बनता है जिससे मृत्यु होने की संभावना है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भी धारा 304 के तहत दोषी माना जाएगा।
आईपीसी की धारा 304ए
आईपीसी की धारा 304ए के मुताबिक, जो कोई भी उतावलेपन या लापरवाही से किसी भी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है, जो गैर इरादतन मानव वध की श्रेणी में नहीं आता है, उसे इस तरह के अपराध का दोषी माना जाएगा।
दंड का प्रावधान
ऐसा करने वाले व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर किसी भी तरह के कारावास की सजा दी जाएगी। सजा की अवधि दो साल तक हो सकती है, या उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। या दोषियों को दोनों तरह से दंडित किया जा सकता है।
कंझावला मामले में पथरीली सड़क पर अंजलि को 12 किलोमीटर तक घसीटने वाली कार आरोपी के परिचित आशुतोष नाम के व्यक्ति की थी। अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस कार के मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी।
विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं? जानते हैं…
कार मालिकों से पूछताछ की जा सकती है
यदि कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें कार चालक वाहन का मालिक नहीं है और यदि कार के मालिक को जानकारी नहीं है कि कार चलाने वाले व्यक्ति कार एक्सीडेंट कर दिया है, तो कार के मालिक को कोई ऐसे मामले में कुछ नहीं होता है। पुलिस उसे नोटिस भेजकर ही पूछताछ के लिए बुला सकती है। पुलिस उससे गाड़ी के बारे में पूछताछ कर सकती है।
कुछ मामलों में हो सकती कार मालिकों के खिलाफ कार्रवाई
लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें दुर्घटना या घटना के वक्त कार मालिक भले ही कार में मौजूद न हो। कार मालिक को आरोपी की साजिश में शामिल माना जाएगा अगर यह साबित हो जाता है कि उसे इस बात की जानकारी थी कि कार लेने वाला व्यक्ति कोई घटना करने जा रहा है या कोई दुर्घटना होने वाली है। इसके बाद कार मालिक पर साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया जाएगा।
दोष साबित होने पर कड़ी सजा का प्रावधान
अगर कार मालिक खुद कार में मौजूद था या दुर्घटना या घटना के समय कार चला रहा था, तो जांच में पुष्टि होने पर उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या या हत्या का मामला दर्ज किया जा सकता है। दोषी साबित होने पर ऐसे कार मालिक को भी उतनी ही सख्ती से दंडित किया जा सकता है, जितना कि आरोपी को।