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भारत के स्मार्टफोन मार्केट में पहली बाहर तिमाही में गिरावट, Xiaomi को हुआ बड़ा नुकसान

भारत के स्मार्टफोन मार्केट में पहली बाहर तिमाही में गिरावट, Xiaomi को हुआ बड़ा नुकसान
देश का स्मार्टफोन मार्केट पिछले वर्ष 6 प्रतिशत घटकर 15.16 करोड़ यूनिट्स का रहा। इस गिरावट के पीछे स्लोडाउन और सप्लाई से जुड़ी समस्याएं बड़े कारण हैं। भारत के स्मार्टफोन मार्केट में चौथी तिमाही में पहली बार गिरावट हुई है। चौथी तिमाही में शिपमेंट्स 27 प्रतिशत घटकर 3.24 करोड़ यूनिट्स की रही।

मार्केट रिसर्च फर्म Canalys की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Samsung ने चौथी तिमाही में 67 लाख यूनिट्स के शिपमेंट के साथ पहला स्थान हासिल किया। कंपनी का मार्केट शेयर 21 प्रतिशत का रहा। चीन स्मार्टफोन मेकर Vivo लगभग 64 लाख यूनिट्स की शिपमेंट कर दूसरे स्थान पर रही। Vivo की अधिकतर बिक्री ऑफलाइन होती है। चीन की ही Xiaomi को चौथी तिमाही में बड़ा नुकसान हुआ। यह 20 तिमाहियों तक टॉप पर रहने के बाद लगभग 55 लाख यूनिट्स के शिपमेंट के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई। हालांकि, पूरे वर्ष के लिए शाओमी स्मार्टफोन की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरर रही।

Canalys का कहना है कि स्मार्टफोन की शिपमेंट्स में कमी आने के पीछे कंज्यूमर्स का खर्च घटाना, स्लोडाउन और सप्लाई में मुश्किलें प्रमुख कारण हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष देश के स्मार्टफोन मार्केट में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है। इस वर्ष स्मार्टफोन की बिक्री में 5G हैंडसेट्स की बड़ी हिस्सेदारी होगी।

सैमसंग का मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े लगभग 900 करोड़ रुपये के इंसेंटिव को लेकर केंद्र सरकार के साथ विवाद चल रहा है। कंपनी पिछले फाइनेंशियल ईयर के लिए सरकार से इस इंसेंटिव की मांग कर रही है। हालांकि, सरकार का मानना है कि यह रकम इससे काफी कम है। Bloomberg ने इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया है कि सरकार ने कंपनी को 165 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई है। सरकार का कहना है कि अगर सैमसंग इससे ज्यादा रकम का दावा कर रही है तो उसके लिए अधिक जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने के लिए मेक इन इंडिया अभियान में इंसेंटिव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार ने दो वर्ष पहले देश में स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) के तौर पर 6.7 अरब डॉलर देने की घोषणा की थी।

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