भिलाई।घर की बालकनी से 15 फीट दूर गुजर रही हाई टेंशन लाइन को ध्यान नहीं देने से भिलाई-3 के उमदा रोड निवासी जैन परिवार पर आफत आ गई। कपड़ा सुखाने मंगाई 20 फीट लंबे स्टील पाइप को दूसरे माले पर चढ़ाते समय हाई टेंशन लाइन के संपर्क में आने से उस पाइप को पकड़ी परिवार की 3 महिलाओं को करंट लग गया। एक 48 वर्षीय कुमुद पारख की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उनकी बहन रायपुर निवासी 45 वर्षीय कामिनी रामपुरिया 51% और बहन की बेटी 23 वर्षीय दिशा रामपुरिया 17% झुलस गईं।
आनन-फानन में परिजन तीनों को निजी अस्पताल लेकर गए। कुमुद की घर पर ही मौत हो जाने से कैजुअल्टी डॉक्टर ने उन्हें ब्राड डेड घोषित कर दिया। कामिनी और दिशा को आईसीयू में शिफ्ट कराकर विशेषज्ञ डॉक्टरों की देख-रेख में उपचार शुरू कर दिया। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. ऐपी सावंत ने शाम में दोनों की स्थिति फिलहाल समान्य होने की जानकारी दी। उधर बिजली विभाग ने इस घटना को व्यक्तिगत चूक बताया। कहा कि हाई टेंशन लाइन को ध्यान नहीं देने के कारण महिलाएं करंट की चपेट में आईं।
प्रथम तल से दूसरे तल पर शिफ्ट होने की थी तैयारी
हादसे का शिकार जैन परिवार सिरसा गेट से उमदा रोड पर कुछ कदम चलते बांई ओर बनी दो मंजिला इमारत में प्रथम तल पर रहता रहा है। सोमवार को प्रथम तल पर दूसरे तल पर शिफ्ट करने का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था। उस तल पर कपड़े सुखाने का इंतजाम नहीं था, इसीलिए घर की गृहिणी स्टील का पाइप मंगाई थी। उसे दूसरे तल पर चढ़ाते ही हादसे का शिकार हो गईं। घटना की जानकारी के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची। जांच जारी है।
झुलसने के बाद हार्ट फेल हुआ, मौके पर ही मौत
करंट लगने से शरीर का ऊपरी हिस्सा जलना, कट जाना दिखाई देता है, लेकिन असल परेशानी अंदरुनी अंगों में होती है। करंट लगते ही करंट शरीर के खून के जरिए पूरे शरीर में दौड़ जाता है। इससे खून की रफ्तार इतना ज्यादा हो जाती है कि पूरा खून हार्ट तक पहुंचता है, रफ्तार ज्यादा होने से हार्ट उसे पंप कर पूरे शरीर में भेज नहीं पाता है। ऐसे में ज्यादा हाई वोल्ट करंट होने से हार्ट फेल हो जाता है। इसके बाद झुलसे व्यक्ति को बचाना मुश्किल होता है।
हार्ट फेल होने से बच जाय तो सेफ्टीसीमिया का खतरा
आग आदि से बर्न मरीज का शरीर का ऊपरी हिस्सा जलता है, लेकिन करंट से बर्न में अंदरुनी अंग प्रभावित होते हैं। खून के जरिए करंट सभी अंगों तक पहुंच जाता है, इसलिए सभी अंगों पर उसका दुष्प्रभाव रहता है। इसी वजह इलेक्ट्रिक बर्न मरीज को सेफ्टीसीमिया अर्थात मल्टी आर्गन फेल्योर का खतरा बना रहता है। ऐसे मरीजों को वायुमंडल में मौजूद बैक्टीरियल अटैक से ज्यादा बचाना होता है।