Headlines

सस्ते मोबाइल डेटा के लिहाज से दुनिया में तीसरे स्थान पर भारत

Android के नए वर्जन के लिए स्मार्टफोन मेकर्स में लगी होड़
पिछले कुछ वर्षों में देश में टेलीकॉम सर्विसेज के टैरिफ में कमी आई है। इसका बड़ा कारण टेलीकॉम कंपनियों के बीच कड़ा कॉम्पिटिशन है। मोबाइल डेटा की कॉस्ट के लिहाज से दुनिया में भारत में तीसरा सबसे कम रेट है। इसमें पहले स्थान पर इजरायल है। भारत में स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों की बड़ी संख्या है। पिछले एक दशक में देश में इंटरनेट की पहुंच और स्पीड तेजी से बढ़ी है।

ब्रिटेन की एक प्राइसिंग कम्पैरिजन वेबसाइट Cable के एक सर्वे में बताया गया है कि भारत में तीसरा सबसे कम डेटा रेट है। इस सर्वे में 200 से अधिक देशों और 5,200 से अधिक मोबाइल डेटा प्लान को शामिल किया गया था। इजरायल में 1 GB डेटा की कॉस्ट सबसे कम 0.04 डॉलर है। भारत में यह कॉस्ट 0.17 डॉलर की है। सबसे महंगा डेटा का रेट ब्रिटेन की ओवरसीज टेरिटरी Saint Helena में 1 GB के लिए 41.06 डॉलर है। भारत में इंटरनेट का प्राइस विभिन्न कारणों के आधार पर तय होता है। हाल ही में देश की टेलीकॉम कंपनियों ने टैरिफ में बढ़ोतरी की है। इसके बावजूद भारत में इंटरनेट सर्विसेज अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ती हैं।

देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी Bharti Airtel ने हाल ही में सात रीजन में 155 रुपये का नया एंट्री लेवल प्लान पेश किया है। इससे बेसिक टैरिफ लगभग 57 प्रतिशत बढ़ गया है। यह प्लान कर्नाटक, बिहार और राजस्थान सहित सात रीजन के लिए है। कंपनी ने 99 रुपये का टैरिफ समाप्त कर दिया है। कंपनी ने पिछले वर्ष ओडिशा और हरियाणा में नया प्लान ट्रायल बेसिस पर शुरू किया था। पिछले वर्ष 5G स्पेक्ट्र्म की ऑक्शन में टेलीकॉम कंपनियों के अरबों डॉलर का खर्च करने के बाद रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए इन कंपनियों को टैरिफ में बढ़ोतरी करने की जरूरत है। टेलीकॉम कंपनियों के लिए परफॉर्मेंस का एक प्रमुख इंडिकेटर एवरेज रेवेन्यू प्रति यूजर (ARPU) होता है। एयरटेल के लिए सितंबर तिमाही में यह 190 रुपये का था, जो तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 3.8 प्रतिशत और वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 24 प्रतिशत अधिक था।

रिलायंस जियो ने छह वर्ष पहले टेलीकॉम सेक्टर में उतरने के बाद टैरिफ घटाने की प्रतिस्पर्धा शुरू की थी। इससे अन्य टेलीकॉम कंपनियों को भी अपनी सर्विसेज के प्राइस घटाने पड़े थे। इसका बड़ा असर इन कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट पर पड़ा था। इस वजह से कुछ टेलीकॉम कंपनियां कारोबार से बाहर हो गई और कुछ का मर्जर हुआ था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *