पासपोर्ट के जल्द पुलिस वेरिफिकेशन के लिए लॉन्च हुआ mPassport ऐप

पासपोर्ट के जल्द पुलिस वेरिफिकेशन के लिए लॉन्च हुआ mPassport ऐप

विदेश जाने के लिए जरूरी पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन में होने वाली देरी की समस्या जल्द दूर हो  सकती है। केंद्र सरकार ने पासपोर्ट जारी करने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन के प्रोसेस में तेजी लाने के उद्देश्य से शुक्रवार को mPassport पुलिस ऐप लॉन्च किया है। 

होम मिनिस्टर Amit Shah ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों को 350 टैबलेट्स दिए थे। इन डिवाइसेज से पुलिस वेरिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया में तेजी आएगी और यह पेपरलेस बन जाएगी। मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स के तहत आने वाले राजधानी के रीजनल पासपोर्ट ऑफिस (RPO) की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि वेरिफिकेशन के लिए इन टैबलेट्स का इस्तेमाल करने से इसमें 15 दिन के बजाय पांच दिन लगेंगे। इससे पासपोर्ट को जारी करने की अवधि 10 दिन कम हो जाएगी। RPO ने एक ट्वीट में कहा कि वे एफिशिएंट सर्विस देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। mPassport पुलिस ऐप से वेरिफिकेशन की अवधि घटकर पांच दिन की हो जाएगी। 

दिल्ली पुलिस ने एक ट्वीट में बताया था, “होम मिनिस्टर अमित शाह ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच को 350 मोबाइल टैबलेट्स उपलब्ध कराए हैं। इन टैबलेट्स से पासपोर्ट एप्लिकेशन का वेरिफिकेशन पेपरलेस और डिजिटल हो जाएगा और इसमें पांच दिन लगेंगे।” इस बारे में शाह ने एक ट्वीट में कहा, “पासपोर्ट के जल्द वेरिफिकेशन के लिए पासपोर्ट मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया गया है। डिजिटल वेरिफिकेशन से समय की बचत होगी और पुलिस की जांच में पारदर्शिता आएगी। स्मार्ट पुलिसिंग के मिशन की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।” 

केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर ऐसी किसी जानकारी को अपलोड करने की अनुमति नहीं देने पर विचार कर रही है जिसे वह झूठा मानती है। पिछले महीने जारी किए गए नए IT रूल्स के ड्राफ्ट में यह शामिल है। सरकार की ओर से बड़ी टेक कंपनियों की लगाम कसने के उपायों में यह शामिल हो सकता है। Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) या सरकार या इसकी किसी डिपार्टमेंट की ओर से तथ्यों की जांच के लिए अधिकृत किसी एजेंसी की ओर से किसी जानकारी को ‘जाली’ या ‘झूठा’ करार दिए जाने पर, उसे ड्राफ्ट के तहत प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। ऐसी जानकारी को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स या अन्य ऑनलाइन इंटरमीडियरीज को उचित कोशिशें करनी होंगी जिससे यूजर्स को इसे अपलोड, बदलने या पब्लिश करने से रोका जा सके। 
 

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