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Infosys को-फाउंडर नारायण मूर्ति का युवाओं को मैसेज- ‘वर्क फ्रॉम होम’, ‘मूनलाइटिंग’ के जाल में न फसें!

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इंफोसिस टेक्नोलॉजी (Infosys Technologies) के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (NR Narayan Murthy) ने युवाओं को एक खास संदेश दिया है। हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल एफेयर्स की ओर से पुणे में एशिया इकोनॉमिक डायलॉग 2023 (Asia Economic Dialogue 2023) आयोजित किया गया। इस मौके पर भारत में रोजगार और युवाओं के भविष्य पर बोलते हुए नारायण मूर्ति ने युवाओं को खास संदेश दिया और कहा कि वे मूनलाइटिंग के लालच में न पड़ें। मूनलाइटिंग यानि कि फुल टाइम जॉब के साथ ही अतिरिक्त कमाई के लिए कोई अन्य छोटी या पार्ट टाइम जॉब करना। साथ ही उन्होंने वर्क फ्रॉम होम के बारे में भी अपने विचार रखे। जानिए उन्होंने इस बारे में क्या कहा। 

मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल एफेयर्स की ओर से पुणे में एशिया इकोनॉमिक डायलॉग 2023 (Asia Economic Dialogue 2023) में बोलते हुए इंफोसिस के को-फाउंडर ने कहा कि वर्क फ्रॉम होम और मूनलाइटिंग युवाओं के भविष्य के लिए कोई अच्छी बात नहीं है। हफ्ते में तीन दिन ऑफिस जाना, या साथ में मूनलाइटिंग करना उज्जवल भविष्य की ओर नहीं ले जा सकता है। फाइनेंशिअल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफोसिस के फाउंडर ने कहा कि भारत में जो युवा इस समय मौजूद हैं उनके लिए वर्क फ्रॉम होम या हफ्ते में तीन दिन ऑफिस जाने जैसी बातें करना कतई भी उनकी ऊर्जा के साथ सरोकार नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि देश का भविष्य उन्हीं के कंधों पर है। 

कार्यक्रम का आयोजन पुणे इंटरनेशनल सेंटर की ओर से किया गया था जो कि एक पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक है। साथ में इसमें बाह्य मामलों के मंत्रालय का सहयोग भी शामिल था। रिपोर्ट के मुताबिक, मूर्ति ने कहा, ‘हमने 300 सालों में पहली बार थोड़ी सफलता चखी है। हमें इसी से संतुष्टि नहीं करनी है, बल्कि बड़ी सफलता की ओर बढ़ना है। उन्होंने कहा कि जो भी युवाओं को यह बताता है कि काम करने के लिए कोई सिद्धांत जरूरी नहीं होते हैं, या परिश्रम करना जरूरी नहीं है या आलस अच्छा है, ऐसा व्यक्ति तुम्हारा शुभचिंतक नहीं हो सकता है’।

इसके आगे उन्होंने परिश्रम यानि कि हार्ड वर्क पर भी जोर देकर कहा और संबोधित किया कि देश का निर्माण युवाओं के हाथों में ही है। ये मौका उनको ऐसे ही नहीं गंवाना चाहिए। उन्हें अवसरों पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्हें दोबारा से आंकने की जरूरत है। और इस तरह के मौके हर पीढी़ के पास नहीं आते हैं। इसके साथ में उन्होंने उन देशों के उदाहरण भी दिए जिन्होंने पिछले कुछ समय में विकास की दिशा में बेजोड़ प्रगति की है। साथ ही मूर्ति ने इस बात पर भी जोर दिया कि संस्कृति को बनाए रखना और समृद्ध करना भी विकास के लिए उतना ही जरूरी है। 

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