Twitter Fined Rs 50 lakh by Karnataka High Court in case against Govt order Full details

Twitter पर लगा 50 लाख रुपये का जुर्माना, नहीं माना था केंद्र सरकार का आदेश, जानें पूरा मामला

कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ लगाई गई ट्विटर की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। केंद्र ने ट्विटर से कुछ अकाउंट्स, ट्वीट और यूआरएल को ब्‍लॉक करने के लिए कहा था, जिसे कंपनी ने नहीं माना। आदेश को कोर्ट में चुनौती दी गई। अदालत ने कहा कि कंपनी की याचिका का कोई आधार नहीं है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित की सिंगल बेंच ने ट्विटर पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और जुर्माने की रकम को 45 दिनों के अंदर जमा कराने का निर्देश दिया। 

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस दीक्षित ने ट्विटर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह केंद्र की इस दलील से सहमत हैं कि सरकार के पास ट्वीट ब्लॉक करने और अकाउंट पर रोक लगाने की ताकत है।

ट्विटर ने 2 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2022 के बीच केंद्र सरकार द्वारा जारी 10 अलग-अलग आदेशों को चुनौती दी थी। ट्विटर ने पहले दावा किया था कि सरकार ने उसे 1474 ट्विटर अकाउंट, 175 ट्वीट, 256 यूआरएल और एक हैशटैग को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है, लेकिन कोर्ट में सिर्फ 39 यूआरएल से संबंधित आदेशों को ही चुनौती दी गई थी। इस मामले में कोर्ट ने 21 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।  

ट्विटर ने सरकार के आदेशों को मनमाना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया था। यह जानते हुए भी कि केंद्र का आदेश नहीं मानने पर 7 साल की सजा और फाइन लगाने का प्रावधान है, ट्विटर ने आदेशों का पालन नहीं किया। अपने फैसले में कोर्ट ने ट्विटर से कहा कि आप अरबों डॉलर की कंपनी हैं, कोई किसान या आम आदमी नहीं, जिसे कानून की जानकारी ना हो। 

इस फैसले पर केंद्र सरकार के मंत्री की प्रतिक्रिया भी आई है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि कुछ खातों को ब्लॉक करने के सरकारी नोटिस को अदालत में चुनौती देने का ट्विटर का फैसला दरअसल उस ‘काल्पनिक कहानी का हिस्सा था’, जिसे कंपनी के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने आगे बढ़ाया।
 

गौरतलब है कि ट्विटर के पूर्व CEO डोर्सी ने हाल में दावा किया था कि भारत सरकार ने ट्विटर पोस्‍टों को नहीं हटाने और ट्विटर अकाउंट बैन नहीं करने पर देश में कंपनी को बंद करने और कर्मचारियों पर छापे की चेतावनी दी थी। डोर्सी ने दावा किया था कि जिन पोस्‍ट और अकाउंट्स को हटाने का दबाव डाला गया था, वो कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन और सरकार की आलोचना से संबंधित थे।

मंत्री ने कहा कि कोर्ट के आदेश यह स्पष्ट करता है कि सभी मंचों को भारतीय कानून का पालन करना होगा।
 





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