सुपेला अंडरब्रिज के निर्माण पर हाईकोर्ट का स्टे:गारमेंट्स की दुकान सड़क के बीच में आई, जेसीबी चलने से पहले संचालक पहुंचा कोर्ट

भिलाई टाउनशिप और शहर को जोड़ने वाली सबसे अहम रोड में बन रहे सुपेला रेलवे अंडरब्रिज के निर्माण में रोक लग गई है। लोगों को अब इस निर्माण के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। हाईकोर्ट से निर्णय आने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू हो पाएगा।

घड़ी चौक से आकाश गंगा रेलवे क्रासिंग को पार करके जाने वाले रास्ते में रेलवे अंडरब्रिज का निर्माण अगस्त 2022 में शुरू हुआ था। इसे साल 2023 के अंत तक पूरा करना था। इसके चलते इसका निर्माण काफी तेजी से किया जा रहा था। ब्रिज का निर्माण होने के बाद सुपेला की तरफ एप्रोच रोड की खुदाई का कार्य होना बाकी है। रेलवे क्रासिंग के ठीक बगल से स्थित आकाश गंगा की एक रेडीमेट कपड़े की दुकान इस एप्रोच रोड की जद में आ रही है। रेलवे कांट्रेक्टर इसे तोड़ने वाला था, लेकिन इससे पहले ही दुकान संचालक ने हाईकोर्ट जाकर इस पर स्टे ले लिया है।

तेजी से चल रहा था अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य

तेजी से चल रहा था अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य

उचित मुआवजा न मिलने पर संचालक पहुंचा हाईकोर्ट
बताया जा रहा है कि दुकान संचालक ने रेलवे से मुआवजे की मांग की है, जबकि रेलवे ने मुआवजा देने से साफ मना कर दिया है। इसके बाद निगम ने मुआवजा देने की बात कही, लेकिन जो मुआवजा निगम दे रहा है वह राशि दुकान संचालक को रास नहीं आ रहा है। इससे वो हाईकोर्ट की शरण में चला गया है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करने तक दुकान तोड़ने पर रोक लगा दी है।

अंडर ब्रिज के बॉक्स निर्माण का काम हो चुका है पूरा

अंडर ब्रिज के बॉक्स निर्माण का काम हो चुका है पूरा

19 लाख रुपए मुआवजा दे रहा भिलाई निगम
जानकारी के मुताबिक भिलाई नगर निगम ने दुकान टूटने पर नुकसान की भरपाई के लिए दुकान संचालक को 19 लाख रुपए का मुआवजा देने पर सहमति दी है। दुकान मालिक का कहना है कि अंडरब्रिज का निर्माण शुरू होने के पहले से उनकी दुकान टूटने की बात कही जा रही थी, लेकिन आज तक उन्हें इस संबंध में कोई नोटिस या पत्राचार नहीं मिला। दुकान संचालक ने निगम के कई चक्कर भी लगाए, लेकिन किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। 10 दिन पहले निगम ने अचानक नोटिस दिया कि दुकान का सारा सामान खाली कर लें। निगम ने दुकान तोड़ने के एवज में 19 लाख का मुआवजा देने की जानकारी भी दी। मुआवजे की राशि वर्तमान मार्केट वैल्यू के मुताबिक न होने से संचालक हाईकोर्ट की शरण में चला गया।

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