मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण बीमार बच्चों की संख्या बढ़ गई है। सरकारी और निजी अस्पतालों में इनकी दैनिक ओपीडी में 15 दिनों के अंदर 40% तक बढ़ोत्तरी हुई है। पहले जहां पूरे जिले में औसतन 3600 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते थे, अब यह बढ़कर औसतन 5 हजार के करीब पहुंच गए हैं।
बच्चों के डॉक्टरों के मुताबिक वर्तमान समय में बच्चे दो प्रकार के वायरस से पीड़ित हैं। एक में उनको गले में खराश के साथ तेज बुखार आ रहा है, दूसरे में वे हल्के बुखार के साथ सर्दी, खांसी, जुकाम और बदन दर्द से पीड़ित हैं। दोनों प्रकार के वायरल की शुरुआत हल्के बुखार, भूख नहीं लगना, चिड़चिड़ापन, कुछ केस में उल्टी होने से हो रही है। तेज बुखार चढ़ने पर असामान्य बरताव करने लगे हैं।
जिनके घर में छोटे बच्चे हों वे इन बातों का ध्यान रखें
1. बच्चों को हाइड्रेट रखें, ओआरएस घोल देते रहें : सर्दी, खांसी, जुकाम व बुखार होने पर कुछ बच्चों को उल्टियां होने लगती है। ऐसा होने पर अधिकतर अभिभावक बच्चों को पानी देना कम कर देते हैं। ऐसा करने से उनको आराम होने की बजाय और नुकसान होता है। पानी की कमीं होने से बच्चे सुस्त होने लगते हैं। आगे उन्हें डायरिया भी हो सकता है। सुस्ती को आराम समझने की गलती करने से बच्चे को खतरा हो सकता है।
2. छोटे बच्चों को तत्काल बच्चों के डॉक्टर को दिखाएं : 6 माह से छोटे बच्चे अगर आज-कल होने वाले बुखार से पीड़ित हो जा रहे हों, तो तत्काल योग्य बच्चों के डॉक्टर को दिखाएं। क्योंकि बच्चों के केस में बच्चों के डॉक्टर ही सिमटम को से बीमारी की पहचान कर सकते हैं। बच्चों के केस में बीमारी की पहचान और दवा का सही डोज देना ही जरूरी होता है। बच्चों के डॉ कटरों की पढ़ाई इसी अनुसार होती है। वही सही ट्रीटमेंट दे सकते हैं।
वायरल से 14 साल तक बच्चे हो रहे ज्यादा बीमार
कोरोना काल में दो साल घरों में रहने के बाद बच्चे भीड़ में जा रहे हैं। वायरल बीमारियां का फैलाव ऐसी ही जगहों से हो रहा है। एक को होने पर संपर्क में आने वाले दूसरे चपेट में आते हैं। इस समय बच्चों में कंजक्टिवाइटिस भी फैला हुआ है। इसके अलावा वायरल बुखार बढ़ रहा है।
बच्चों में दो तरह का वायरल फैला, छोटे बच्चों में सुरक्षित रखना जरूरी
मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव और कोरोना के बाद भीड़ में मौजूदगी होती रहने के कारण वायरल हो रहा है। अभी बच्चे दो तरह के वायरल की चपेट में आ रहे हैं। एक में उनके गले में खरास और तेज बुखार तथा दूसरे में सर्दी, खांसी, जुकाम, हल्का बुखार हो रहा है। 6 माह से छोटे बच्चों को ऐसा होने पर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि उन्हें सही दवा तत्काल नहीं मिली तो तेज बुखार का उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है।
डॉ. अंकुर परगनिया, बाल रोग विशेषज्ञ