टीचर ने कहा था, कौआ खाती हो क्या?’:कभी चिढ़ाया मर्दों जैसी आवाज है, आज उसी आवा​ज के साथ सोशल मीडिया सेंसेशन है नायाब

कभी स्कूल में मर्दों जैसी आवाज के लिए चिढ़ाया गया तो कभी टीचर ने कहा- कौआ खाती हो क्या? जब मैंने पोएट्री शुरू की ताे सिर्फ 300 फॉलोवर्स थे। आज 6 लाख लोग मुझसे जुड़ चुके हैं। अपनी जर्नी के कुछ खास लम्हों को दैनिक भास्कर से शेयर करते हुए ये बातें कही सोशल मीडिया की पोएट्री सेंसेशन नायाब मिधा ने।

शनिवार की शाम छेरीखेड़ी में “जश्न ए सूफी’ बिस्मिल की महफिल आयोजित की गई। कार्यक्रम में सूफी गायक बिस्मिल परफॉर्मेंस के लिए पहुंचे। इसके साथ ही पोएट्री के लिए सोशल मीडिया में अपनी “मुस्कुराओ’ कविता से चर्चा में आई नायाब मिधा भी पहुंची। खास बातचीत में उन्होंने अपने पोएट बनने की जर्नी शेयर की है।

सवाल : चर्चित होने से पहले की कोई याद जो आप रायपुर के प्रशंसकों को बताना चाहेंगी?
जवाब : एक याद है। जो जहन में है और बसी हुई है। मुझे स्कूल में मेरी आवाज को लेकर चिढ़ाया जाता था। मेरी आवाज (हश वाइस) को मर्दाना कहा जाता था। यानि कि मर्दों जैसी आवाज। स्कूल में मेरी एक टीचर ने कहा था तुम कौआ खाती हो क्या? ये मेरे दिमाग में घर कर गया था। इस कमेंट की वजह से मैं अंडर कॉन्फिडेंट भी हुई, लेकिन अब जब अपनी पोएट्री परफॉर्म करती हूं और लोग इसे काफी पसंद करते हैं तो लगता है किसी की बात नहीं सुननी चाहिए। अपना काम करते रहना चाहिए।

सवाल : कितने साल लगे पोएट्री में अपनी पहचान बनाने में। ये प्रोफेशनली कितना फ्रूट फुल हो सकता है यंगस्टर्स के लिए ?
जवाब : पैसा कमाना और कला करना, ये दोनों अलग रास्ते हैं। पटरी पर दोनों तरफ पैर बराबर रखकर चलना होता है। भले आप बहुत अच्छे लेखक हों लेकिन ये दुनिया थोड़ी अलग होती है। कभी किसी कलाकार को अच्छे लोग मिल जाते हैं, जो सपोर्ट करते हैं। मैंने पांच साल अपने आर्ट के साथ प्रोफेशनली वर्क भी किया है। इसमें आर्टिस्ट मैनेजमेंट, बिजनेस भी शामिल है। ऐसे में अर्निंग करना एक लर्निंग है। अपने खर्च को मैनेज करना बहुत जरूरी होता है। अपनी कला सीखते रहें, लेकिन काम भी जरूरी है। कविताओं से घर चल जाएगा आप ऐसा नहीं सोच सकते।

सवाल : जो काम के साथ पोएट्री कर रहे हैं, उनके लिए सजेशन क्या देंगी आप?
जवाब : लगे रहिए छोड़िए नहीं। एक चीज सिखाती हूं। पहले होता था कि आपको बाहर जाना होता था। दूसरे शहर जाकर भीड़ का हिस्सा बनना पड़ता था। इससे पहले भी काफी स्ट्रगल हुआ करता था। किसी एक ने कर लिया तो बड़ी बात हो जाती थी, लेकिन अब सब ग्लोबल हो चुका है। सोशल मीडिया हमारी अपनी दुकान है, तो मैंने भी अपनी एक छोटी सी दुकान डाल ली। जब मैंने पोएट्री शुरू की तो सिर्फ 300 फॉलोवर्स थे, आज 6 लाख लोग मुझसे जुड़ चुके है। मिलियन्स में पोएट्री पसंद की जाती है। यंग आर्टिस्ट से यही कहूंगी कि अपनी दुकान डाल लो, आप लोकली ग्लोबल हो जाओगे।

सवाल : आगे के क्या प्लांस है। कोई खास शो ?
जवाब : मेरे दिल के काफी करीब है “द नायाब शो’ जिसे मैंने खुद बनाया है। इसे दर्शकों से खूब प्यार मिलता है। आगे मैं इसे पूरे देश में पोएट्री की परफॉर्मेंस देकर फैलाना चाहती हूं। दिसंबर में रायपुर में भी शो करने की प्लानिंग है। इसमें कहानी, कविताएं और किस्से शामिल है।

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